ishq shayari in hindi | galib ki shayari |

ishq shayari in hindi | galib ki shayari | दोस्तों हम जो शायरी आपके लिए लाए हैं उसमें बहुत गहरी बात लिखी हुई है, इन शायरिओ को समझ के पड़ने का एक अपना अलग ही मजा है, हमे आशा है इन शायरी को पढ़कर आपका मन गदगद हो जाएगा ।
अगर आप उन चीजों को समझ से पढ़ते हैं तो आप जीवन में बहुत सोच समझ कर चलेंगे और सोच समझ कर कदम उठाएंगे कुछ भी बात दो तरीके से ले जा सकती है या तो उसे हम उस बात से कुछ सीख ले या उसे किसी गलत तरीके से सीखे यह अपने आप पर निर्भर करता है।।

ishq shayari in hindi | galib ki shayari |

जिसे महसूस करना चाहिए था गालिब, उसे आंखो से देखा जा रहा है।।

माना कि तेरे दीदार के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख तू मेरा इंतजार तो देख।।

में तबाह हूं तेरे इश्क में तुझे दूसरों का ख्याल है, कुछ मेरे मसलों पर भी गौर दे मेरी तो जिंदगी का सवाल है।।

अब क्या बताए टूटे है कितने कहा से हम, खुद को समेटते है यहां-वहा से हम।।

ishq shayari in hindi | galib ki shayari |

वफादार और तुम खयाल अच्छा है, बेवफा और हम इल्जाम अच्छा है।।

में दीवार पर लिख तू अंदर एक बला है, जो भी इश्क में उलझा वो गम में जला है।।

आकाश का कोई रंग नहीं होता गालिब, नीलापन ही उसका फरेब है।।

हमने हर वक्त फकत उसको ही मांगा गालिब, जिसकी बातों में कोई बात हमारी नहीं थी।।

ishq shayari in hindi | galib ki shayari | -

ishq shayari in hindi | galib ki shayari |

नियत-ए-शौक भर ना जाए कही, तू भी दिल से उतर ना जाए कही।।

बे-बुनियाद बात बढ़ाने की जरूरत क्या है, हम नाराज कब थे मनाने की जरुरत क्या है।।

हमको मिली है ये घड़ियां आज नसीब से, जी भर के देख लीजिए उनको आज करीब से।।

कल तक उड़ती थी जो चेहरो पर आज पैरों में लिपट गई, चंद बूंदे क्या गिरी बरसात की धूल की फितरत ही बदल गई।।

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यह जो बाहर खुदा से डर रहे हैं गालिब, बहुत कुछ दिल के अन्दर कर रहे है।।

जो मेरा है वह मुझे कोई नहीं छीन सकता, पर शख्स ही मुकर जाए उसमें मैं कुछ नहीं कर सकता।।

हम तो फना हो गए उनकी आंखे देख कर गालिब, ना जाने आईने पर रोज क्या गुजरती होगी।।

क्या बात है बड़े चुपचाप बैठे हो, कोई बात दिल पर लगी या दिल लगा बैठे हो।।

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शाम ढले हर पंछी को घर जाना पड़ता है, यहा कोन खुशी से मरता है, मर जाना पड़ता है।।

न जाने कौन सी खुशबू से तू बन गया, तेरी महक तेरी तस्वीर से भी आती है।।

तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती, मे राख होने लगा हू दिए जलाते हुए।।

तुम्हारा सिर्फ हवाओं पर शक गया होगा, चराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।।

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